कविवर नीरजजी के लिये...
नीरभरे नयनों से ....
मेघा के संग आज झरे नीरभरे ये नैन |
झरते झरते कह गये अंतर्मन के बैन ||
सरगम साँसों में, धडकन में
दे कर वीणागुंजन को |
झरती बूँदोंपर चढ निकले
नीरज ईश्वर रंजन को ||
बूंँदन को सत्संग मिला जो
महक उठी यह बौछारे |
नीरज नैनोंपार हुए पर
मन में कस्तुरी बन ठारे ||
मेघा जब जब बरसेगी
संग बरसेगी नीरजसुरभी |
महके नीरजशब्दों से
महकेगा तन-मन-त्रिभुवनभी ||
कविवर नीरजजी को कृतज्ञतापूर्वक अभिवंदन....
© प्रमोद वसंत बापट
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